मानसिक स्वास्थ्य परिचय हम सब बाहर बहुत कुछ ढूंढते हैं – सफलता, प्यार, पहचान। लेकिन क्या आपने कभी खुद से पूछा है कि आप खुद को कितना जानते हैं? यह ब्लॉग एक अनुभव है – एक ऐसी यात्रा का, जो मैंने खुद से शुरू की थी। और शायद आप भी इससे जुड़ सकें। 1. ज़िंदगी के सवाल जो रुकने पर मिलते हैं कभी-कभी सब कुछ होते हुए भी भीतर खालीपन महसूस होता है। मेरे साथ भी यही हुआ। बाहर सब ठीक था, लेकिन अंदर बेचैनी थी। तब मैंने खुद से पूछा – मैं वाकई क्या चाहता हूँ? 2. खुद से मिलने का पहला रास्ता – एकांत मैंने सुबह का 10 मिनट का समय खुद को देना शुरू किया। कोई शोर नहीं, कोई फोन नहीं – बस मैं और मेरी सोच। यही मेरी शुरुआत थी। धीरे-धीरे मैंने खुद को महसूस करना सीखा। 3. छोटी डायरी, बड़े बदलाव मैंने एक नोटबुक ली और रोज़ उसमें लिखना शुरू किया – आज कैसा महसूस कर रहा हूँ? क्या अच्छा लगा, क्या बुरा? मैं किस बात पर रुका? ये बातें साधारण थीं, लेकिन इनके ज़रिए मैं खुद को बेहतर समझने लगा। 4. माफ़ करना – सबसे बड़ी सफाई खुद को समझते समय एक बात और सामने आई – मन में भरी पुरानी नाराज़गियाँ। मैंने उन्हें ए...
मौन में छुपी सच्ची खुशी आज के दौर में जहां हर कोई कुछ कहने की जल्दी में है, वहां मौन एक अनसुनी शक्ति बनकर हमारे सामने आता है। मौन कोई कमजोरी नहीं, बल्कि खुद से जुड़ने की सबसे सुंदर कोशिश है। जब शब्द थमते हैं, तब हमारी आत्मा बोलती है। तब हम सिर्फ सुनते नहीं, महसूस भी करते हैं। और असली शांति, इसी एहसास में बसती है। मौन – एक अनकही बातचीत जब हम दूसरों के साथ चुपचाप बैठे होते हैं, तो कई बार शब्दों की ज़रूरत नहीं होती। एक नज़र, एक मुस्कान, एक स्पर्श... सब कुछ कह जाता है। यह वो पल होते हैं जो दिल को छू जाते हैं – बिना एक भी शब्द कहे। "मुझे आज भी याद है, एक शाम माँ के साथ बरामदे में बैठा था। हम दोनों चुप थे। सिर्फ चाय की भाप उड़ रही थी और सामने सूरज ढल रहा था। उस एक चुप्पी में मुझे माँ का सारा प्यार महसूस हुआ — बिना कुछ बोले।" 🌿 शब्दों की भीड़ में शांति ढूँढना आज हम शब्दों के शोर में जी रहे हैं – चैट्स, कॉल्स, मीटिंग्स... लेकिन क्या कभी गौर किया है? सबसे ज़्यादा सुकून हमें तब मिलता है जब हम थोड़ी देर के लिए खुद से बातें करते हैं, बिना किसी शब्द के। मौन हमें रिश...