कैसे बदलें अकेलापन को आत्मचिंतन अकेलापन तब होता है जब आप अपने साथ भी अनजान हों। आत्मचिंतन तब होता है जब आप खुद से दोस्ती कर लें।” हम सब ने कभी न कभी अकेलेपन को महसूस किया है — वो पल जब चारों तरफ लोग होते हुए भी भीतर से खालीपन लगता है। पर क्या कभी आपने सोचा है कि वही एकांत अगर सही नज़रिए से देखा जाए तो वो अकेलापन नहीं, आत्मचिंतन बन सकता है? अकेलापन – जब मन भटकता है अकेलापन एक भाव है जो अक्सर आता है: जब हम किसी को बहुत मिस करते हैं, जब हमारी बात कोई नहीं समझ पाता, या जब भीड़ में भी खुद को "अलग-थलग" पाते हैं। इसका असर सिर्फ भावनात्मक नहीं होता, यह आपकी नींद, भूख, सोचने की क्षमता और शरीर की प्रतिरक्षा (immunity) तक को प्रभावित कर सकता है। आत्मचिंतन – जब मन खुद से मिलने लगता है आत्मचिंतन का अर्थ है भीतर की ओर देखना , अपने विचारों, भावनाओं और जीवन के अनुभवों को बिना किसी डर के समझना। यह एक अकेलापन नहीं, बल्कि एक चयनित एकांत होता है – जहाँ आप अपने साथ समझदारी और अपनत्व से बैठते हैं। फर्क कहाँ है? अकेलापन आत्मचिंतन जबरन थोपे गए पल स्वेच्छा से चुना गया स...